जब भी किसी चीज़ को बाँटने की बात आती है तो मुझे और शायद आपको भी बचपन के वे लम्हें फिर से याद आ जाते हैं , जब हम छोटे हुआ करते थे और जब किसी चीज़ को बाँटने की बारी आती थी , तो हम भाई - बहनों में आपस में हीं लड़ाई शुरू हो जाया करती थी / कभी खाने की चीजों को लेकर , कभी पैसे को लेकर, तो कभी कपड़ों के लिए / कभी - कभी तो लड़ाई इस हद तक बढ़ जाता की हम कई दिनों तक आपस में एक - दूसरे से बात करना भी मुनासिब नहीं समझते थे और कभी लड़ाई को लेकर मम्मी - पापा से मार भी खा जाते थे /
और जब थोड़े बड़े हुए तो , इसके बाद बारी आती है स्कूल की, जहाँ कभी बेंच पर बैठने को लेकर लड़ाई , तो कभी लाइन में आगे या पीछे खड़े होने के लिए लड़ाई अपने हीं कक्षा के लड़कों से लड़ाई /
थोडा और बड़े हुए तो हमने लोगों को घर के हिस्से और जायदाद को बँटवारे को लेकर लड़ते देखा / जहाँ लोग अपने हीं भाइयो की सरेआम क़त्ल करने से भी नहीं कतराते , जो बचपन से लेकर पूरी उम्र एक साथ गुजारते हैं बस कुछ पैसे और जमीन के टुकड़े के लिए सारे रिश्ते नातों को पल भर में भुला देते है /
जहाँ तक लोगों को जमीन और पैसे के लिए लड़ाई करते देखने की बात है , वो तो मुझे समझ में आया / मगर हद तो तब हो गया जब लोगों को अपने की राज्य और प्रदेशों के बँटवारे के लिए लड़ाई करते देखा वो भी पहली बार /
लोगों ने बिहार को बाँट दिया वो भी एक बार नहीं दो दो बार , पहले इसे बाटकर प. बंगाल बना दिया और फिर झारखण्ड /
लोगों ने ना केवल बिहार को ही बाटा बल्कि उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश को भी उनके अपने वजूद से अलग करके छत्तीसगढ़ और उतराखंड जैसे नए राज्यों को बनाया /
इसके बाद बारी आयी महाराष्ट्र को और फिर से उत्तर प्रदेश को बाटने की ये शुक्र है की अभी तक इनके बटवारे नहीं हुए /
अगस्त 2009 में मैं हैदराबाद आया और और दिसम्बर में जब हमारे पहले semester की पढाई ख़त्म हुई और जब हम घर जाने ही वाले यहे ठीक उसी दिन 28 दिसम्बर 2009 को पहली बार आंध्र प्रदेश की बटवारे की बात को सुना , ये और बात है की इसके बटवारे की मांग आज से नहीं बल्कि 60 वर्ष से हो रही है / जहाँ तक मेरा सोचना है ये किसी राज्य की बटवारे की मांग का सबसे पुराना मुद्दा है /
यहाँ के लोग आंध्र प्रदेश को बाटकर एक अन्य नए राज्य तेलंगाना को बनाये जाने की मांग कर रहे है , और आज भी इसे बाटा नहीं गया है / और पता नहीं कितने और दिन या कितने वर्ष और लगेगा इसे बाटने में / जो भी हो मगर बात तो बटवारे की ही है ना /
मैं जब भी बटवारे के बारे में सोचता हूँ तो एक हीं सवाल बार - बार मेरे जहन में आता है कि बचपन से अभी तक हमने भाई को भाई से , एक घर से दूसरे घर को, एक राज्य को राज्य से , एक देश को देश से अलग किया गया , , , ऐसा क्यूँ ?
हमने भाई से भाई को अलग होकर मिलते देखा मगर , मगर एक राज्य को राज्य से और एक देश को दूसरे देश से अलग होकर फिर से उनको एक हो जाते क्यूँ नहीं देखा ?
जब एक भाई मिल सकते है तो एक राज्य और एक देश फिर से क्यूँ नहीं मिलते हैं ? इसके पीछे कारण क्या है ? जिस तरह लोग बटवारे कि मांग करते हैं क्या वो फिर से मिलने कि मांग नहीं कर सकते ?
कर सकते हैं , मगर लोग करना नही चाहते /
ये तो हमारी खुशनसीबी है कि हमने पाकिस्तान को भारत से अलग होते नहीं देखा / कैसा भयानक हुआ होगा वो मंजर जब आज़ादी कि लड़ाई में कंधे से कन्धा मिलकर लड़ने वाले लोग एक दिन एक दूसरे के लिए विदेशी हो गए और तो और दुश्मन भी हो गए ?
बिहार , उत्तर प्रदेश , मध्य प्रदेश और कई अन्य राज्यों के साथ - साथ र भारत भारत कई टुकड़ों में बट गया , मगर फिर भी किताबों में और कई बार नारों में यही गुण गया जाता है "अखंड भारत " /
पर क्या सच में भारत अखंड है ? क्या अभी भी इसकी अखंडता बरक़रार है ? क्या यही है "अखंड भारत " ?
जहाँ तक मैं सोचता हूँ, अभी तो यह एक शुरुआत है आगे न जाने कितने भारत और कितने तेलंगाना और बनेंगे ? अगर ऐसा होता रहा तो क्या फिर हम भविष्य में "अखंड भारत " का हीं नारा लगा सकेंगे ?
जरा सोचिये...
" और कितने भारत ? "