आखिर भूख मिट हीं गयी ....
मेरा विश्वास कीजिये हमलोग आज से नहीं बल्कि पिछले 28 साल से भूखे - प्यासे थे , कोई नहीं जनता था कब हमारी भूख - प्यास मिटेगी /
आज से 28 साल पहले यानि की 1983 में पहली बार हमलोगों ने जी भरकर भोजन किया था और उसके बाद से अब तक भूखे हीं थे , एक बार तो मौका भी मिला था 2003 में की अपनी भूख को शांत कर लें मगर क्या कहें ऑस्ट्रेलिया ने हमसे थाली छीन लिया था / मगर इस बार ऐसा कुछ नहीं हुआ, ऑस्ट्रेलिया ने तो हमसे खाने की थाली छीना था मगर इस बार हमने उसका ऐसा बदला लिया की थाली तो दूर की बात , वे लोग लंगर में भी नहीं जा सके /
मैं बात कर रहा हूँ 1983 में भारतीय क्रिकेट टीम द्वारा रचे गए क्रिकेट जगत के उस ऐतिहासिक घटना की जिसे फिर से ठीक उसी दिन यानि कि ठीक शनिवार को हीं 2 अप्रैल 2011 को फिर से भारतीय टीम ने दोहरा दिया / और दोहराए भी क्यूँ न आखिर 1 अरब 25 करोड़ लोगों की दुआएं जो उनके साथ थी /
हुआ यूँ कि 30 मार्च को भारत और पाकिस्तान के बीच हुए शानदार सेमी फ़ाइनल मुकाबले को जीत कर भातीय टीम फ़ाइनल में तीसरी बार पहुंची और 2 अप्रैल 2011को होने वाले फ़ाइनल मुकाबले में भारतीय टीम के सामने श्रीलंकाई टीम / ऐसे में सबकी निगाहें इसी बात पर टिकी हुई थी कि क्या भारतीय टीम इस बार सचिन के लिए सच में कुछ कर पायेगी ?
और जनता कि उम्मीदों पर खरा उतरते हुए इस बार भारतीय टीम ने पिछली बार कि तरह ना हीं सचिन को निरास किया और ना हीं यहाँ कि जनता को / कर लिया वर्ल्ड कप अपने नाम /
इसी के साथ 1983 के इतिहास को फिर से एक बार 2011 में दोहरा दिया जिसका कि सभी को एक लम्बे अरसे से इंतजार था /
इसके दोहराए जाने का सबसे बड़ा कारन था वो भेंट / उपहार , जिसे हमे क्रिकेट के भगवान को देना था, यानि की सचिन तेंदुलकर को /
लोगों ने दुआ भी किया तो हर दुआ में यही कहा ....इस बार सचिन के लिए !!!
मेरा विश्वास कीजिये हमलोग आज से नहीं बल्कि पिछले 28 साल से भूखे - प्यासे थे , कोई नहीं जनता था कब हमारी भूख - प्यास मिटेगी /
आज से 28 साल पहले यानि की 1983 में पहली बार हमलोगों ने जी भरकर भोजन किया था और उसके बाद से अब तक भूखे हीं थे , एक बार तो मौका भी मिला था 2003 में की अपनी भूख को शांत कर लें मगर क्या कहें ऑस्ट्रेलिया ने हमसे थाली छीन लिया था / मगर इस बार ऐसा कुछ नहीं हुआ, ऑस्ट्रेलिया ने तो हमसे खाने की थाली छीना था मगर इस बार हमने उसका ऐसा बदला लिया की थाली तो दूर की बात , वे लोग लंगर में भी नहीं जा सके /
मैं बात कर रहा हूँ 1983 में भारतीय क्रिकेट टीम द्वारा रचे गए क्रिकेट जगत के उस ऐतिहासिक घटना की जिसे फिर से ठीक उसी दिन यानि कि ठीक शनिवार को हीं 2 अप्रैल 2011 को फिर से भारतीय टीम ने दोहरा दिया / और दोहराए भी क्यूँ न आखिर 1 अरब 25 करोड़ लोगों की दुआएं जो उनके साथ थी /
हुआ यूँ कि 30 मार्च को भारत और पाकिस्तान के बीच हुए शानदार सेमी फ़ाइनल मुकाबले को जीत कर भातीय टीम फ़ाइनल में तीसरी बार पहुंची और 2 अप्रैल 2011को होने वाले फ़ाइनल मुकाबले में भारतीय टीम के सामने श्रीलंकाई टीम / ऐसे में सबकी निगाहें इसी बात पर टिकी हुई थी कि क्या भारतीय टीम इस बार सचिन के लिए सच में कुछ कर पायेगी ?
और जनता कि उम्मीदों पर खरा उतरते हुए इस बार भारतीय टीम ने पिछली बार कि तरह ना हीं सचिन को निरास किया और ना हीं यहाँ कि जनता को / कर लिया वर्ल्ड कप अपने नाम /
इसी के साथ 1983 के इतिहास को फिर से एक बार 2011 में दोहरा दिया जिसका कि सभी को एक लम्बे अरसे से इंतजार था /
इसके दोहराए जाने का सबसे बड़ा कारन था वो भेंट / उपहार , जिसे हमे क्रिकेट के भगवान को देना था, यानि की सचिन तेंदुलकर को /
लोगों ने दुआ भी किया तो हर दुआ में यही कहा ....इस बार सचिन के लिए !!!
सचिन तेंदुलकर