Friday, September 18, 2015

Breakup Before Love - A novel

After a long wait, finally my new book "Breakup before love" is out now.


Blurb : Anoop, a crazy lover, struggling to lead a normal life, and slowly moving on towards it, meets Ritu, the girl he loved. On seeing her after three years, he is confused whether she will recognize him or not. Her sudden reappearance drags him into the past. Friendship, love and betrayal left him blank and completely stranded but the way she reacts after seeing him gives him a ray of hope. It seems as if nothing had gone wrong with them. They hug each other and burst into tears unmindful of the people around them. Anoop repents for dreadful mistake he had committed in past, and now wants her back in his life. He requests her for a permanent relationship. But will Ritu come back into his life again? Will she forgive him? And will their life start over again?


About the author : Raj Singh was born in Gaya,Bihar. He studied Spanish Language in The English and Foreign Languages University, Hyderabad as well as he holds a bachelor degree in Tourism Studies (IGNOU) and currently works in a multinational company. Raj Singh, in his first book, Anna Hazare "Adhoori jeet ke nayak", has highlighted the life of Anna Hazare and the Jan Lokpal Bill and its movement. His book has been selected for Polar Research. His latest book Breakup before Love is out now in all leading offline and online book stores. I hope you have liked the blurb and grab your copy. If still you are confused, please do watch the promo (video) of the book then decide.

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Other books : Anna Hazare - Adhoori jeet ke nayak (Hindi)



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Interview :

http://www.writerstory.com/raj-singh-interview-breakup-before-love-book/





Wednesday, August 26, 2015

सोशल मीडिया का दुरूपयोग और उसका परिणाम

कहा जाता है कि जरुरत से ज्यादा हर चीज़ नुकसान-दायक होता है। आज-कल लगातार कुछ ऐसा ही देखने को मिल रहा है जसलीन-सरबजीत केश में। पहले रोहतक के दो जांबाज बहनो ने और अब जसलीन कौर ने बहादुरी के नाम पर खूब वाहवाही लूटी रही है। मगर यह कितना जायज है इसके लिए हम बिना प्रयास किये ही एक-तरफ़ा फैलसा सुना देते हैं और तो और इनाम की राशि भी तय कर देते हैं। मगर सबसे शर्म की बात तो ये है कि इन चीजों की जाँच -परोख किये बगैर हम लोग भी इन बाह्यात चीजो को हवा भी दे देते है और ये भी नहीं समझते कि इससे किसी की जिंदगी बर्बाद हो सकती है। चलो, हमारे पास जाँच -परख करने का वक़्त और न ही स्रोत होता और कुछ चीजों को ज्यादा तबज्जो देते हुए उसे सोशल मिडी साइट्स पर शेयर करना शुरू कर देते हैं, मगर हमारी मीडिया,जिनके पास वक़्त और स्रोत दोनों होता है, फिर वो इतनी जल्दबाजी क्यों दिखाते है? हमसब जानते है कि लोग मिडिया की कही-दिखाई बातों पर विश्वास करते है, मगर ऐसा कई बार देखने को मिलता है कि मीडिया द्वारा दिखाई गयी हर चीज़ सही नहीं होती और यही कारण है कि आज मीडिया की अपनी विश्वसनीयता खोते जा रही है। मीडिया ही नहीं, हमारी पुलिस भी कई बार तथ्यों को बिना जाने-समझे हड़बड़ी दिखाते हुए बेकसूरों को ही पकड़ कर हवालात में डाल देती है। आज सोशल मीडिया के दौर में लोगो को फेमश होने का बुखार लग गया है। और ऐसा ही कुछ दिल्ली में देखने को मिल रहा है। 24 अगस्त को जसलीन नाम की लड़की ने सरबजीत नाम के लड़के की फोटो फेसबुक पर यह कहते हुए शेयर कर दिया कि उसने उसपर अभद्र टिप्पणी किया था और इस फोटो को लोग इतने ज्यादा शेयर और लाइक करने लगे कि लड़की रातों-रात फेमश हो गयी और लड़का देखते ही देखते पुरे हिन्दुस्तान के लिए विकृत, छिछोरा और गुंडा बन गया। फेसबुक को छोड़िये, हमारी मीडिया ने भी उसे कई ऐसे नाम दिए। इतना ही नहीं, मीडिया ने तो अपनी खुद की ट्रायल भी शुरू कर दी और रातों-रात सरबजीत को रेपिस्ट टाइप का इंसान घोषित कर दिया। उसके बाद बारी आई पुलिस की, पुलिस ने भी बिना किसी जाँच-शिनाख्त किये उसे गिरफ्तार कर लिए और इसका नतीजा यह हुआ की सरबजीत को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ गया, वह कही भी मुँह दिखाने लायक नहीं रहा। लेकिन साच को आंच कहा ? देर से ही सही सच्चाई आखिर सामने आने लगी है और कुछ चश्मदीद पुरे मामले को बयां भी कर रहे है। और देखा जाय तो अभी तक जो तथ्य सामने आये है, उससे तो यही लगता है कि उस दिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था जिसके लिए सरबजीत को इतने गलत तरीके से दुनिया के सामने पेश किया जाना चाहिए था। लेकिन अगर सच कहा जाए तो हमसब, मीडिया और पुलिस सब उतने ही कसूरवार हैं, जितना जसलीन। अगर हम लोग जसलीन के पोस्ट को शेयर करने से पहले जाँच कर लेते तो आज सरबजीत को न तो उसे अपनी नौकरी गवानी पड़ती नहीं ही उसे गलत नज़र से देखा जाता। अब सवाल यह उठता है कि क्या हमलोगों, मीडिया, पुलिस और जसलीन का यह फर्ज नहीं बनता कि कम से कम एक बार ही सही, उससे (सरबजीत) लेकिन माफ़ी मांगें? दूसरा सवाल, क्या पुलिस को जसलीन के खिलाफ मुकदमा चलाना चाहिए कि नहीं ? क्या मीडिया के खिलाफ कार्यवाई नहीं होनी चाहिए? क्या हम सच में सोशल मीडिया का इस्तेमाल सही तरीके से कर रहे हैं? क्या सरबजीत को मीडिया और अन्य लोगों के खिलाफ मानहानि का दावा नहीं करना चाहिए? हमारी आपलोगों से अपील है कि कृपया किसी भी चीज़ को शेयर करने और उसपर अपनी राय देने से पहले एक बार तथ्यों की जाँच कर लें क्योंकि इससे किसी की जिंदगी तबाह हो सकती है। साथ ही साथ मैं यह भी गुंजाइश करूँगा कि किसी भी बात को शायर करने से पहले अच्छी तरह से उसके परिणाम को भी जान लें आपकी एक झूठ की वजह से लोग आप पर तो विश्वाश करना छोड़ ही देंगे हो सकता है कल सच में अगर कुछ गलत हो रहा होगा तब भी लोग आपका साथ देने से कतराएंगे। सोशल मीडिया इंसान को इंसानियत से जोड़ने के लिए है न ही तोड़ने के लिए। TRP की होड़ में इतना भी न गिरो की किसी की जिंदगी बर्बाद हो जाये। बंद करो यह मीडिया ट्रायल का घिनौना नाच। कोर्ट और पुलिस को उसको अपना काम करने दो। https://www.youtube.com/watch?v=1v6h1PiyHHA

Monday, July 27, 2015

उम्मीद और हिम्मत का नाम अब्दुल कलाम आज़ाद!

पता नहीं क्यों मगर जब भी मैं अपने आप को देखता हूँ कभी खुद को खुसनसीब तो कभी सबसे दुर्भाग्यशाली समझता हूँ। मैनें बीसवीं सत्तावादी में में जन्म लिया मगर मैंने दो सत्तावादियां जी और यूँ कहें तो जी रहा हूँ - बीसवीं और इक्कीसवीं। मैनें ब्रायन लारा, सचिन तेंदुलकर, एंडी फ्लावर जैसे लोगो को खेलते देखा तो कभी निरुपमा रॉय जैसी महिला को देखा जिससे देखने पर माँ की ममता क्या होती है, दूर प्रदेश में बैठा आदमी भी समझ जाता था और मशहूर गजल गायक जगजीत सिंह की ग़ज़लें सुनकर अपनी उदासी को दूर किया, तो कभी कभी सदाबहार देव आनंद और प्राण साहब जैसे मशहूर कलाकारों की फिल्मों का लुफ्त उठाया, मगर इनमें से बहुत लोग एक- एक करके हमसे दूर चलें गएं और छोड़े गएं तो सिर्फ अपनी अदाकारी और कारनामें। ऐसे और भी लोग हैं जो शायद ही हमारी आने वाली पीढ़िया में देख पाएंगी जैसे कि अमिताभ बच्चन, रहमान और गुलजार साहब व अन्य। और भी कई लोग हैं जिनका नाम नाम मुझे याद नहीं आ रहा । लेकिन आज जब आपके निधन की खबर मिली तो ऐसा लगा कि उपरवाले ने हमारे पैरों तले से जमीन ही खिंच ली है। सच कहें तो आज, जितना मैं अपने आप को दो सदियाँ जीने वाला इंसान समझकर खुदनसीब समझता था, उससे कहीं ज्यादा आज अपने आपको बदनसीब समझता हूँ। काश के सदी यही रुक जाए क्योंकि और हिम्मत नहीं है हम में ऐसी काली रातों को देखने की। आपको लोग भले ही मिसाइल मैन के नाम से जानते हैं लेकिन मैंने हमेशा आपको हर इंसान में, चाहे बुड्ढा हो या एक बच्चा, एक उम्मीद की तरह देखा है। और मैं आशा करता हूँ कि जब तक दुनिया में "उम्मीद" नाम का शब्द विराजमान रहेगा तब-तक आप लोगों के सबसे बड़े प्रेरक के रूप में जाने जायेंगे। सपनों को सच कैसे किया जाता है, लोगों ने आपसे सीखा है। सच कहें तो उम्मीद और हिम्मत का नाम ही अब्दुल कलाम आज़ाद है।

Thursday, January 19, 2012


 नींद तुम्हें अब आती है


तुम जागती हो तनहा रातों में,
मैं भी जगता रहता हूँ 
 नींद तुम्हें अब आती है,
नींद मुझे अब आती है 

है कितने हैरत की  बात ये,
दुनिया तो समझ जाती है
पर तुम ना समझ पाती हो।

सोचती होगी यही तुम,
सोयी  होमैंने कैसे जाना ये,
तो पूछो लो अपनी इन आखों से ,
हो गयी अब शाम सुबह से,
पर अब भी क्यों खोयी दिखती ये।

धुंधली पड़ गयी तेरी आइने सी आखें,
अब शुष्क, बदरंग दिखाई देतीं है ये आखें तेरी,
कभी मुझे जो झील सी नीली दिखती थी।

तुम जागती हो तनहा रातों में,
मैं भी जगता रहता हूँ 
 नींद तुम्हें अब आती है,
नींद मुझे आती है 
                                    : राज सिंह

Thursday, January 12, 2012

                         फिर से एक गलती कर दी मैंने



    

                    फिर से एक गलती कर दी मैंने,
                    मोहब्बत की आँहें भर दी मैंने.

                    समझाना चाहा जब पागल दिल को,
                    दिल हीं मुझे समझाने लगा.
                    ले सहारा अपने दिल का,
                    फिर दिल को बहलाने चला.

                    मैं उलझा ऐसे कुछ दिल-दिमाग में,
                    यूँ लगा जलने लगा मैं इनकी आग में.
                    दिल-दिमाग के इस उलझन में,
                    मैं बेचारा उलझता रहा.

                    कई दिनों तक मेरे अन्दर में,
                    द्वंद युद्ध यूँ हीं चलता रहा.
                    कभी दिल हारा, कभी दिमाग हारा.

                    अब न दिल मेरा, न दिमाग रहा मेरा,
                    इन दोनों के चक्कर में,
                    फिर से गया अब मैं ही मारा.

                    फिर से एक गलती कर दी मैंने,
                    मोहब्बत की आँहें भर दी मैंने.

                                                          राज सिंह 


    

Friday, January 6, 2012

हम सरहद पर मरते हैं



बांध कफ़न सर पर, हम सरहद पर खड़े होते है,
हम सरहद पर मरते हैं, वो घर से भी निकलने से डरते हैं / 

चलते हैं हम कभी बर्फीली वादियों में,कभी कंटीले पथरीली राहों पर 
शर्म नहीं आती उनको, वो चलते हैं महँगी कारों में /    

याद जब आती है घर की, दोस्त समझ जाते है 
रोकना चाहें लाख, पर आसूं तो निकल हीं आते हैं / 

उन्हें आहट भी नहीं इसकी, हम कितने बेचैन हो जाते है ,
कभी संसद को घर बना देते हैं, कभी मंदिर को संसद में ले आते हैं /

हम सोते नहीं यहाँ ताकि वो चैन से सो पाएं
वो घर में एसी का मजा तो लेते हीं हैं, संसद में भी सो जाते हैं 
अपनी राजनितिक पुलाव पकाने के लिए हमें  हीं दोषी ठहरा जाते हैं /   

बांध कफ़न सर पर हम सरहद पर खड़े होते है,
हम सरहद पर मरते हैं, वो घर से भी निकलने से डरते हैं /


                                                                            राज सिंह 





Saturday, November 12, 2011

तुम्हे भूलता हूँ जितना

आज ये मैंने  जाना  तुम्हे भूल जाना मुश्किल है कितना 
तुम याद आती हो उतना, तुम्हे भूलता हूँ जितना I 
आती हो सामने जब भी दिल में एक चुभन सी होने लगती है,
बंद कर कर लूं आखें अपनी पर बंद आखों में भी तुम्हीं नज़र आती हो, 
दे दिया धोखा मेरी आखों ने भी कुछ तुम्हारी हीं तरह,
आज ये मैंने  जाना  तुम्हे भूल जाना मुश्किल है कितना 
तुम याद आती हो उतना, तुम्हे भूलता हूँ जितना I 

क्या करूँ अब कुछ समझ में नहीं आता, 
तुम्हारी याद को चाहकर भी नहीं भुला पाता.
सोचता हूँ चले जाऊं इस दुनिया से दूर कहीं दूसरी दुनिया में. 
मगर डर लगता है तेरी उन वादों से  जब कहा था तुमने 
इस दुनिया में क्या दूसरी दुनिया में भी मैं तेरा साथ निभाउंगी I

आज ये मैंने  जाना  तुम्हे भूल जाना मुश्किल है कितना 
तुम याद आती हो उतना, तुम्हे भूलता हूँ जितना I 

                                                                         राज सिंह 












Saturday, October 29, 2011

Pensando en ti


Pensando en ti 


Estoy  sentado solo pensando en ti 
La noche  estrellada y la luna brillante 
Me recuerdo mi primer día que pasamos 
bajo el cielo nublado tu me parecía como una luna 


Eatoy  sentado solo pensando en ti 
Hoy cuando tu estas mas lejos de mundo 
Sin llamar estoy buscandote mi luna  en el cielo  
Dame un voz melodiosa de dónde estas?


Estoy  sentado solo pensando en ti 
La noche  estrellada y la luna brilliante 


                                                            राज सिंह 


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Friday, October 28, 2011

♥✿~ Mi Amor ~✿♥


~Mi Amor~✿♥







Te amo más que otros aman en este  mundo.

Yo sé que "El Amor"  no es sólo una palabra ni una frase, pero es más que un épico, todavía para hacerte entender digo que mi amor es más profundo que el mar "Mariana Trench".
te amo más que otros aman en este  mundo.

Te amo más que  otros aman en este  mundo.
Yo sé que es casi imposible decirte¨por qué te amo   tanto, todavía digo que tu sonrisa cortada, voz melodiosa,tus ojos azules y el topo sobre tu labios me hace sentir tan  feliz .
te amo más que  otros aman en este  mundo.



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                                                                           : Raj Singh


Monday, October 10, 2011

जगजीत सिंह का निधन "एक सदी का अंत"

विलियम शेक्सपीयर ने कभी कहा था कि "नाम में क्या रखा है " मगर उनके  इस बात को कई बार गलत होते देखा गया / आज मैं भी उनके इस कथन को गलत मानते हुए ये कहना चाहता हूँ कि "नाम में हीं सब कुछ रखा है.   "
"जगजीत" इसका अर्थ होता है जगत को जितने वाला, मतलब जो दुनिया को जीत लेता है . यही नाम था एक ऐसे परवाने की जो लोगों के दिलों पर कई सालों से छाया रहा. चाहे वो गम में डूबा टुटा दिल आशिक हो या प्रेम में अंगड़ाई लेता जोड़ा, हर किसी के दिल पर जगजीत का खुमार छाया  रहा. इनसे अपने नाम के अनुसार दुनिया को जीत लिया. शायद आप सिर्फ जगजीत कहे जाने से सोच रहे होंगे की दुनिया में इस नाम के कई लोग हैं, फिर मैं किस जगजीत की बात कर रहा हूँ ? मैं बात कर रहा हूँ "गजल सम्राट " जगजीत सिंह की.जिन्होंने अपने गीतों को लोगों के होठों पर गुनगुनाने को मजबूर कर दिया. उनके वे गीत "होठों से छू लो तुम , मेरा गीत अमर कर दो " जब लोगों की जुबान पर चढ़े  तो यह गीत तो अमर हुआ हीं साथ हीं जगजीत सिंह को भी भविष्य में उनके देहांत के बाद अमर करने के लिए कदम बढ़ा दिए थे. 
आज सोमबार 10 अक्तूबर , सुबह में उन्होंने दुनिया को अलविदा कहते हुए फिर से अपने वे गीत लोगों को अपने होठों पर गुनगुनाने के लिए छोड़ दिए. जगजीत सिंह के अलविदा कहते हीं एक सदी का अंत हो गया / आज पूरा देश शोक में डूब गया है. 
जगजीत सिंह ने तो दुनिया को अलविदा कह दिया मगर उनके  दिए तोहफे (गीत) और भारत को गजल की दुनिया में एक मुकाम हाशिल करवाना , हमेशा उनको जिन्दा रखेगी, कोई कितना भी चाह ले, उनकी नामो - हस्ती इस दुनिया से कभी मिटने वाली नहीं है / 

  "जगजीत का जाना, एक पूरी दुनिया का उठ जाना है, इक पूरे दौर का उठ जाना है"... गुलजार 






महान गायक जगजीत सिंह के अचानक यूं महफिल से उठकर चले जाने पर केवल इतना कहा जा सकता है 


"फरिश्तों अब तो सोने दो , कभी फुरसत में कर लेना हिसाब , आहिस्ता , आहिस्ता "
                                                     



  

Saturday, April 2, 2011

आखिर भूख मिट हीं गयी ....

आखिर भूख मिट हीं गयी ....
मेरा विश्वास कीजिये हमलोग आज से नहीं बल्कि पिछले 28 साल से भूखे - प्यासे थे , कोई नहीं जनता था कब हमारी भूख - प्यास मिटेगी /
आज से 28 साल पहले यानि की 1983 में पहली बार हमलोगों ने जी भरकर भोजन किया था और उसके बाद से अब तक भूखे  हीं थे , एक बार तो मौका भी मिला था 2003 में की अपनी भूख को शांत कर लें मगर क्या कहें ऑस्ट्रेलिया ने हमसे  थाली छीन  लिया  था / मगर इस बार ऐसा कुछ नहीं हुआ, ऑस्ट्रेलिया ने तो हमसे खाने की थाली छीना था  मगर इस बार हमने उसका ऐसा बदला लिया की थाली तो दूर की बात , वे लोग लंगर में भी नहीं जा सके /


मैं बात कर रहा हूँ 1983 में भारतीय क्रिकेट टीम द्वारा रचे गए  क्रिकेट जगत के उस ऐतिहासिक घटना की जिसे फिर से ठीक उसी दिन यानि कि ठीक शनिवार को हीं 2 अप्रैल 2011 को फिर से भारतीय टीम ने दोहरा दिया /  और दोहराए भी क्यूँ न आखिर 1 अरब  25 करोड़  लोगों की दुआएं जो उनके साथ थी /
हुआ यूँ कि  30 मार्च को भारत और पाकिस्तान के बीच हुए शानदार सेमी फ़ाइनल मुकाबले को जीत कर भातीय टीम फ़ाइनल में तीसरी बार पहुंची और 2 अप्रैल 2011को होने वाले फ़ाइनल मुकाबले में भारतीय टीम के सामने श्रीलंकाई टीम / ऐसे में सबकी निगाहें इसी बात पर टिकी हुई थी कि क्या भारतीय टीम इस बार सचिन के लिए सच में कुछ कर पायेगी ?
और जनता कि उम्मीदों पर खरा उतरते हुए  इस बार भारतीय टीम ने पिछली बार कि तरह ना हीं सचिन को निरास किया  और ना हीं यहाँ कि जनता को  / कर लिया वर्ल्ड कप  अपने नाम /

इसी के साथ 1983 के इतिहास को फिर से एक बार 2011 में दोहरा दिया जिसका कि सभी को एक लम्बे अरसे से इंतजार था /

इसके दोहराए जाने का सबसे बड़ा कारन था वो भेंट / उपहार , जिसे हमे क्रिकेट के भगवान को देना था,  यानि की सचिन तेंदुलकर को  /


लोगों ने दुआ भी किया तो हर दुआ में यही कहा ....इस बार सचिन के लिए !!!

सचिन तेंदुलकर