फिर से एक गलती कर दी मैंने
फिर से एक गलती कर दी मैंने,
मोहब्बत की आँहें भर दी मैंने.
समझाना चाहा जब पागल दिल को,
दिल हीं मुझे समझाने लगा.
ले सहारा अपने दिल का,
फिर दिल को बहलाने चला.
मैं उलझा ऐसे कुछ दिल-दिमाग में,
यूँ लगा जलने लगा मैं इनकी आग में.
दिल-दिमाग के इस उलझन में,
मैं बेचारा उलझता रहा.
कई दिनों तक मेरे अन्दर में,
द्वंद युद्ध यूँ हीं चलता रहा.
कभी दिल हारा, कभी दिमाग हारा.
अब न दिल मेरा, न दिमाग रहा मेरा,
इन दोनों के चक्कर में,
फिर से गया अब मैं ही मारा.
फिर से एक गलती कर दी मैंने,
मोहब्बत की आँहें भर दी मैंने.
राज सिंह
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