Saturday, November 12, 2011

तुम्हे भूलता हूँ जितना

आज ये मैंने  जाना  तुम्हे भूल जाना मुश्किल है कितना 
तुम याद आती हो उतना, तुम्हे भूलता हूँ जितना I 
आती हो सामने जब भी दिल में एक चुभन सी होने लगती है,
बंद कर कर लूं आखें अपनी पर बंद आखों में भी तुम्हीं नज़र आती हो, 
दे दिया धोखा मेरी आखों ने भी कुछ तुम्हारी हीं तरह,
आज ये मैंने  जाना  तुम्हे भूल जाना मुश्किल है कितना 
तुम याद आती हो उतना, तुम्हे भूलता हूँ जितना I 

क्या करूँ अब कुछ समझ में नहीं आता, 
तुम्हारी याद को चाहकर भी नहीं भुला पाता.
सोचता हूँ चले जाऊं इस दुनिया से दूर कहीं दूसरी दुनिया में. 
मगर डर लगता है तेरी उन वादों से  जब कहा था तुमने 
इस दुनिया में क्या दूसरी दुनिया में भी मैं तेरा साथ निभाउंगी I

आज ये मैंने  जाना  तुम्हे भूल जाना मुश्किल है कितना 
तुम याद आती हो उतना, तुम्हे भूलता हूँ जितना I 

                                                                         राज सिंह