Monday, July 27, 2015

उम्मीद और हिम्मत का नाम अब्दुल कलाम आज़ाद!

पता नहीं क्यों मगर जब भी मैं अपने आप को देखता हूँ कभी खुद को खुसनसीब तो कभी सबसे दुर्भाग्यशाली समझता हूँ। मैनें बीसवीं सत्तावादी में में जन्म लिया मगर मैंने दो सत्तावादियां जी और यूँ कहें तो जी रहा हूँ - बीसवीं और इक्कीसवीं। मैनें ब्रायन लारा, सचिन तेंदुलकर, एंडी फ्लावर जैसे लोगो को खेलते देखा तो कभी निरुपमा रॉय जैसी महिला को देखा जिससे देखने पर माँ की ममता क्या होती है, दूर प्रदेश में बैठा आदमी भी समझ जाता था और मशहूर गजल गायक जगजीत सिंह की ग़ज़लें सुनकर अपनी उदासी को दूर किया, तो कभी कभी सदाबहार देव आनंद और प्राण साहब जैसे मशहूर कलाकारों की फिल्मों का लुफ्त उठाया, मगर इनमें से बहुत लोग एक- एक करके हमसे दूर चलें गएं और छोड़े गएं तो सिर्फ अपनी अदाकारी और कारनामें। ऐसे और भी लोग हैं जो शायद ही हमारी आने वाली पीढ़िया में देख पाएंगी जैसे कि अमिताभ बच्चन, रहमान और गुलजार साहब व अन्य। और भी कई लोग हैं जिनका नाम नाम मुझे याद नहीं आ रहा । लेकिन आज जब आपके निधन की खबर मिली तो ऐसा लगा कि उपरवाले ने हमारे पैरों तले से जमीन ही खिंच ली है। सच कहें तो आज, जितना मैं अपने आप को दो सदियाँ जीने वाला इंसान समझकर खुदनसीब समझता था, उससे कहीं ज्यादा आज अपने आपको बदनसीब समझता हूँ। काश के सदी यही रुक जाए क्योंकि और हिम्मत नहीं है हम में ऐसी काली रातों को देखने की। आपको लोग भले ही मिसाइल मैन के नाम से जानते हैं लेकिन मैंने हमेशा आपको हर इंसान में, चाहे बुड्ढा हो या एक बच्चा, एक उम्मीद की तरह देखा है। और मैं आशा करता हूँ कि जब तक दुनिया में "उम्मीद" नाम का शब्द विराजमान रहेगा तब-तक आप लोगों के सबसे बड़े प्रेरक के रूप में जाने जायेंगे। सपनों को सच कैसे किया जाता है, लोगों ने आपसे सीखा है। सच कहें तो उम्मीद और हिम्मत का नाम ही अब्दुल कलाम आज़ाद है।