Wednesday, August 26, 2015

सोशल मीडिया का दुरूपयोग और उसका परिणाम

कहा जाता है कि जरुरत से ज्यादा हर चीज़ नुकसान-दायक होता है। आज-कल लगातार कुछ ऐसा ही देखने को मिल रहा है जसलीन-सरबजीत केश में। पहले रोहतक के दो जांबाज बहनो ने और अब जसलीन कौर ने बहादुरी के नाम पर खूब वाहवाही लूटी रही है। मगर यह कितना जायज है इसके लिए हम बिना प्रयास किये ही एक-तरफ़ा फैलसा सुना देते हैं और तो और इनाम की राशि भी तय कर देते हैं। मगर सबसे शर्म की बात तो ये है कि इन चीजों की जाँच -परोख किये बगैर हम लोग भी इन बाह्यात चीजो को हवा भी दे देते है और ये भी नहीं समझते कि इससे किसी की जिंदगी बर्बाद हो सकती है। चलो, हमारे पास जाँच -परख करने का वक़्त और न ही स्रोत होता और कुछ चीजों को ज्यादा तबज्जो देते हुए उसे सोशल मिडी साइट्स पर शेयर करना शुरू कर देते हैं, मगर हमारी मीडिया,जिनके पास वक़्त और स्रोत दोनों होता है, फिर वो इतनी जल्दबाजी क्यों दिखाते है? हमसब जानते है कि लोग मिडिया की कही-दिखाई बातों पर विश्वास करते है, मगर ऐसा कई बार देखने को मिलता है कि मीडिया द्वारा दिखाई गयी हर चीज़ सही नहीं होती और यही कारण है कि आज मीडिया की अपनी विश्वसनीयता खोते जा रही है। मीडिया ही नहीं, हमारी पुलिस भी कई बार तथ्यों को बिना जाने-समझे हड़बड़ी दिखाते हुए बेकसूरों को ही पकड़ कर हवालात में डाल देती है। आज सोशल मीडिया के दौर में लोगो को फेमश होने का बुखार लग गया है। और ऐसा ही कुछ दिल्ली में देखने को मिल रहा है। 24 अगस्त को जसलीन नाम की लड़की ने सरबजीत नाम के लड़के की फोटो फेसबुक पर यह कहते हुए शेयर कर दिया कि उसने उसपर अभद्र टिप्पणी किया था और इस फोटो को लोग इतने ज्यादा शेयर और लाइक करने लगे कि लड़की रातों-रात फेमश हो गयी और लड़का देखते ही देखते पुरे हिन्दुस्तान के लिए विकृत, छिछोरा और गुंडा बन गया। फेसबुक को छोड़िये, हमारी मीडिया ने भी उसे कई ऐसे नाम दिए। इतना ही नहीं, मीडिया ने तो अपनी खुद की ट्रायल भी शुरू कर दी और रातों-रात सरबजीत को रेपिस्ट टाइप का इंसान घोषित कर दिया। उसके बाद बारी आई पुलिस की, पुलिस ने भी बिना किसी जाँच-शिनाख्त किये उसे गिरफ्तार कर लिए और इसका नतीजा यह हुआ की सरबजीत को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ गया, वह कही भी मुँह दिखाने लायक नहीं रहा। लेकिन साच को आंच कहा ? देर से ही सही सच्चाई आखिर सामने आने लगी है और कुछ चश्मदीद पुरे मामले को बयां भी कर रहे है। और देखा जाय तो अभी तक जो तथ्य सामने आये है, उससे तो यही लगता है कि उस दिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था जिसके लिए सरबजीत को इतने गलत तरीके से दुनिया के सामने पेश किया जाना चाहिए था। लेकिन अगर सच कहा जाए तो हमसब, मीडिया और पुलिस सब उतने ही कसूरवार हैं, जितना जसलीन। अगर हम लोग जसलीन के पोस्ट को शेयर करने से पहले जाँच कर लेते तो आज सरबजीत को न तो उसे अपनी नौकरी गवानी पड़ती नहीं ही उसे गलत नज़र से देखा जाता। अब सवाल यह उठता है कि क्या हमलोगों, मीडिया, पुलिस और जसलीन का यह फर्ज नहीं बनता कि कम से कम एक बार ही सही, उससे (सरबजीत) लेकिन माफ़ी मांगें? दूसरा सवाल, क्या पुलिस को जसलीन के खिलाफ मुकदमा चलाना चाहिए कि नहीं ? क्या मीडिया के खिलाफ कार्यवाई नहीं होनी चाहिए? क्या हम सच में सोशल मीडिया का इस्तेमाल सही तरीके से कर रहे हैं? क्या सरबजीत को मीडिया और अन्य लोगों के खिलाफ मानहानि का दावा नहीं करना चाहिए? हमारी आपलोगों से अपील है कि कृपया किसी भी चीज़ को शेयर करने और उसपर अपनी राय देने से पहले एक बार तथ्यों की जाँच कर लें क्योंकि इससे किसी की जिंदगी तबाह हो सकती है। साथ ही साथ मैं यह भी गुंजाइश करूँगा कि किसी भी बात को शायर करने से पहले अच्छी तरह से उसके परिणाम को भी जान लें आपकी एक झूठ की वजह से लोग आप पर तो विश्वाश करना छोड़ ही देंगे हो सकता है कल सच में अगर कुछ गलत हो रहा होगा तब भी लोग आपका साथ देने से कतराएंगे। सोशल मीडिया इंसान को इंसानियत से जोड़ने के लिए है न ही तोड़ने के लिए। TRP की होड़ में इतना भी न गिरो की किसी की जिंदगी बर्बाद हो जाये। बंद करो यह मीडिया ट्रायल का घिनौना नाच। कोर्ट और पुलिस को उसको अपना काम करने दो। https://www.youtube.com/watch?v=1v6h1PiyHHA