Thursday, January 19, 2012


 नींद तुम्हें अब आती है


तुम जागती हो तनहा रातों में,
मैं भी जगता रहता हूँ 
 नींद तुम्हें अब आती है,
नींद मुझे अब आती है 

है कितने हैरत की  बात ये,
दुनिया तो समझ जाती है
पर तुम ना समझ पाती हो।

सोचती होगी यही तुम,
सोयी  होमैंने कैसे जाना ये,
तो पूछो लो अपनी इन आखों से ,
हो गयी अब शाम सुबह से,
पर अब भी क्यों खोयी दिखती ये।

धुंधली पड़ गयी तेरी आइने सी आखें,
अब शुष्क, बदरंग दिखाई देतीं है ये आखें तेरी,
कभी मुझे जो झील सी नीली दिखती थी।

तुम जागती हो तनहा रातों में,
मैं भी जगता रहता हूँ 
 नींद तुम्हें अब आती है,
नींद मुझे आती है 
                                    : राज सिंह

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